झारखंड में कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने की मांग को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। सोमवार को सिरम टोली सरना स्थल पर आयोजित बैठक में आदिवासी संगठनों और नेताओं ने स्पष्ट कहा कि कुड़मी, कुरमी और महतो कभी भी आदिवासी नहीं रहे हैं। इसलिए उनकी एसटी मांग किसी भी हाल में स्वीकार नहीं की जाएगी।
बैठक में पूर्व मंत्री देवकुमार धान, पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव, चंपा कुजूर, प्रेम शाही मुंडा, बलकु उरांव, प्रदीप उरांव, पवन तिर्की और आकाश तिर्की समेत कई नेता मौजूद रहे। नेताओं ने आरोप लगाया कि कुड़मी समाज के लोग आदिवासी समाज को भटकाने और दोनों समुदायों के बीच खाई पैदा करने का काम कर रहे हैं। उनका उद्देश्य सिर्फ विधायक, सांसद और मंत्री पद हासिल करना है।
नेताओं ने चेतावनी दी कि आदिवासी समाज की धार्मिक और रैयती जमीन लगातार छीनी जा रही है। उद्योग, डैम और रिम्स-2 खोलने के नाम पर बड़े पैमाने पर विस्थापन पहले ही हो चुका है। अब समाज और बर्दाश्त नहीं करेगा।